हमारी प्यारी बूढ़ी संसद

बुधवार, 16 मई 2012

        जानते हैं बुढ़ापे की खास बात क्या होती है। वह खास बात यह है कि बुढ़ापा एक बार आता है तो आते ही चला जाता है। दूसरी खास बात यह भी है कि व्यक्ति बूढ़ा होने पर कभी भी अपनी बुराई को सुन नहीं सकता। भले ही वह दिनभर दूसरों की बुराई करता रहे। ठीक इसी तरह हमारी संसद भी बुढ़ापे में प्रवेश कर गई है। संसद की 60वीं सालगिरह बड़े धूमधाम से सांसदों द्वारा मनाई गई। एक बात समझ नहीं आई कि हमने 59 वर्ष कब बिता दिए पता ही नहीं चला। लगता है सरकार ने सोचा होगा कि संसद की वर्षगांठ के जश्न में जनता का ध्यान इस बात से हटाया जाए कि हमारी कितनी किरकिरी हुई है। सभी सांसदों ने भारतीय लोकतंत्र की न सिर्फ बढ़ाई की बल्कि इसे दुनिया में सबसे बेहतर भी बताया। हां! सही बात है, भारत में लोकतंत्र है। यहां नक्सली अपनी बात मनवाने के लिए जिलाधीश, विधायक तक का अपहरण कर लेते हैं। कभी-कभी तो हमारे जवानों को ही मौत के घाट उतार देते हैं। हां! भारत में लोकतंत्र है। यहां घोटाले का पैसा नीचे से लेकर ऊपर तक बंटता है। अब देखो न 2जी स्पेक्ट्रम के आबंटन में हुए घोटाले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा, कनिमोझी और बड़ी-बड़ी दूरसंचार कंपनियों के अधिकारी जेल की हवा खा चुके हैं। हमारे यहां लोकतंत्र है, वह इस बात से भी साबित होता है कि हमने उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े माफिया राजा भैया को ही उनके अनुभव के आधार पर जेल मंत्री बनाया। हमारे यहां राजनीति करने वाले राजद सांसद राजनीति प्रसाद राज्यसभा में लोकपाल बिल को ऐसे फाड़े देते हैं जैसे उनसे किसी ने उनकी जायदाद मांग ली हो। हम आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अमेरिका में बड़े बोल बोलते हैं और यहां संसद पर हमला करने वाले मोहम्मद अफजल गुरु और मुम्बई पर हमला करने वाले कसाब को देशभक्तों की तरह पालते हैं। यहां सांसदों को खरीदा जाता है। भ्रष्टाचार समाप्त करने वालों को पीटा जाता है और जो राष्ट्रमंडल खेल के नाम पर बड़े खेल कर चुके कुछ लोगों को अपने नजदीक बिठाकर उनकी पीठ थपथपाई जाती है। संसद भी बूढ़ी हो चुकी है। इसे भी अपनी बुराई स्वीकार नहीं। अब देखो न बुढ़ापे की तरह संसद की गरिमा, सुरक्षा, कार्यप्रणाली जो एक बार बिगड़ी तो लगातार बिगड़ती चली जा रही है। यहां पहले कभी एक अपराधी घुसा होगा और बिल्कुल बुढ़ापे की तरह अपराधियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब यहां 163 सांसद हत्या, लूट, डकैती जैसे मामलों से जूझ रहे हैं, जिनकी जांच चल रही है। लेकिन कुछ भी कहो जिस प्रकार घर में बुजुर्ग व्यक्ति सबसे प्यारे होते हैं, उसी प्रकार हमारी भी बूढ़ी संसद बड़ी प्यारी है। बेचारी संसद, बूढ़ी संसद!!
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